चिरमिरी के नामी हस्तियों को बदनाम करने की कौन कर रहा है "साजिश"?

संजीव सिंह । चिरमिरी में नगर पालिक निगम व एसईसीएल क्षेत्र होने के कारण तमाम तरह की घटनाएं आए दिन होती रहती है,लेकिन 9 जून को एक ऐसी घटना हुई जिससे पूरा चिरमिरी अचंभित रह गया जी हां आपको बता दें कि 9 जून की शाम पूरे चिरमिरी में एक खबर आग की तरह फैली जिसके कारण एक कोल श्रमिक नेता व एसईसीएल के एक अधिकारी की इज्जत दांव पर लग गई एक खबर के मुताबिक एक कोल श्रमिक नेता व एक एसईसीएल अधिकारी को एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा जाता है और इतना ही नहीं बल्कि जिस जगह पर ऐसा होता है वहां के स्थानीय निवासियों द्वारा हाथापाई और मारपीट की घटना भी होती है यह बात यहीं खत्म नहीं होती बल्कि अब यह बात चिरमिरी थाने तक पहुंचती है लेकिन जानकारी मिलने के बावजूद पुलिस प्रशासन इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं करता और इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लेता है अब चुंकि यह मामला आग की तरह पूरे क्षेत्र में फैल चुका होता है तो भी पुलिस प्रशासन की खामोशी को देखते हुए स्थानीय  लोगों द्वारा कयास लगाया जाता है कि पुलिस विभाग श्रमिक संगठनो स्थानीय पत्रकार संगठनों को इस मामले में खामोश रखने के लिए मोटी रकम का चढ़ावा चढ़ाया जा चुका है और आज लगभग हफ्ते भर बाद भी इस विषय पर कोई चर्चा नहीं होना ही इस बात की गवाही दे रहा है,यह तो हुई लोगों की बात अब सोचने वाली बात यह है कि अगर ऐसा कोई मामला था ही नहीं तो इतनी बड़ी अफवाह फैली कैसे?बहुत पुरानी कहावत है"बिना आग के धुआं नहीं उठता"बता दें कि चिरमिरी में कुल 5 कोयला मजदूर यूनियन सक्रिय है पांचों यूनियन के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष,सचिव व विभिन्न पदों पर रसूखदार लोग काबिज हैं अगर अफवाह उड़ाना ही था तो किसी और नाम से भी अफवाह उड़ाई जा सकती थी इस पूरे घटनाक्रम में जिस कोल श्रमिक नेता का नाम जिस एसईसीएल अधिकारी का नाम सामने आया है भला चिरमिरी की आम जनता को उन्हीं दो लोगों से ऐसी कौन सी चीढ़ थी जिसके कारण इतनी बड़ी अफवाह फैलाने का कोई खास कारण अभी तक समझ में नहीं आ रहा है,इस घटना में किसी दूसरे श्रमिक संगठन की कोई दिलचस्पी नहीं जिससे इस बात का अंदाजा लग जाता है कि इससे किसी का व्यक्तिगत कोई लेना देना नहीं है तो घूम फिर कर फिर से यही सवाल खड़ा हो जाता है कि जिस कोल श्रमिक नेता वह एसईसीएल अधिकारी का नाम इस मामले में उछाला गया आखिर उनका ही नाम क्यों?
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