जनप्रतिनिधियों को छूट और आम जनता से लूट आखिर ऐसा क्यों?


चिरमिरी । सामान्य तौर पर आम जनों के खिलाफ मास्क नहीं लगाने अथवा एडवाइजरी के उल्लंघन के मामले लगातार बनते रहे हैं लेकिन संभवत यह छत्तीसगढ़ का पहला मामला है जब किसी अधिवक्ता के खिलाफ एडवाइजरी के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है मामला पाली थाना का है जहां अधिवक्ता राजेश राठौर द्वारा व्यवहार न्यायालय पाली में बिना मास्क लगाए ही लगातार मामले में जीरा करने पहुंच गए इतना ही नहीं न्यायालय परिसर में खुले तौर पर बिना मास्क घूमने लगे भृत्य की रिपोर्ट पर पाली थाने में धारा 186 188 269 270 एवं महामारी अधिनियम 1897 की धारा 3 तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है, वहीं दूसरी ओर चिरमिरी में पिछले कई दिनों से लगभग हर रोज चिरमिरी थाना प्रभारी के निर्देश पर बिना मास्क लगाएं गाड़ी चलाने वालों का चालान की  कार्यवाही की जा रही है
वहीं एसईसीएल कर्मचारियों  के नामों में साधारण से त्रुटि के कारण एसईसीएल चिरमिरी ने अपने कुछ कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है और बर्खास्त कर्मचारियों के समर्थन में खुद मनेंद्रगढ़ विधायक विनय जयसवाल एसईसीएल चिरमिरी से लगभग पिछले 18 महीनों तक पत्र वार्ता करते रहे बावजूद इस मामले में कोई कार्यवाही एसईसीएल की तरफ से नहीं होती दिखी तब कहीं जाकर मनेंद्रगढ़ विधायक ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर एसईसीएल चिरमिरी के मुख्यालय पर तालाबंदी व धरना प्रदर्शन किया, दूसरी ओर नगर पालिक निगम की महापौर श्रीमती कंचन जयसवाल ने हम सेवा संस्थान द्वारा लॉकडाउन में किए गए कार्यों की सराहना करते हुए हम सेवा संस्थान का मनोबल बढ़ाया यह दोनों कार्य अपने अपने जगह पर काफी सराहनीय है लेकिन अब सवाल यह उठता है की विधायक और महापौर द्वारा अपने कार्यकर्ताओं व समर्थकों के साथ एसईसीएल मुख्यालय की घेराबंदी करते वक्त या हम सेवा संस्थान के  सम्मान समारोह  के दौरान धारा 144 का उल्लंघन सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन और साथ ही चेहरे पर मास्क नहीं लगाना क्या यह सब एडवाइजरी का उल्लंघन नहीं माना जाएगा? और वह भी तब जब नगर निगम के अधिकारी भी हम सेवा संस्थान के सम्मान समारोह में उपस्थित थे। तो क्या यह मान लिया जाए की कानून सिर्फ ऐसे लोगों के लिए है जो कानून का विरोध नहीं करते या सिर्फ उनके लिए है जिनके पास ताकत नहीं होती?
संजीव सिंह
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