भोपाल। मध्यप्रदेश में इस्तीफों का दौर लगातार जारी है। अभी तक राजनैतिक पार्टियों के नेता-मंत्री ही इस्तीफा दे रहे है थे, वही अब कई अफसरों ने नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर दी है। हैरानी की बात ये है कि देश में पिछले कुछ समय में चार सेवानिवृत्त आईएएस अफसरों ने राजनीति का दामन थामा है। इनमें एक कांग्रेस में पहुंंचीं तो तीन सपाक्स के साथ जुड़ गए। अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा-कांग्रेस समेत अजाक्स और सपाक्स का साथ निभाने वाले अधिकारी भी खूब हैं।वही ऐसे भी अनेक अफसर हैं, जो भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए पर्दे के पीछे से मददगार रहे हैं। इनमें सेवानिवृत्त होने के बाद पार्टी ज्वाइन न करके काम करने वालों की भी कमी नहीं। अब देखना ये है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे के रुप मे उभरा सपाक्स और उसमें अपने ताकत दिखाने वाले आईएएस, आईपीएस और जज कितना असर छोड़ पाते है। ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या सपाक्स चौदह सालों से सत्ता का खुश भोग रही भाजपा का सिंहासन हिलाने में कामयाब हो पाएगी या नही। हालांकि इसका फैसला तो आने वाले विधानसभा चुनाव में हो पाएगा। अभी तक राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले अफसरों के लिए कांग्रेस और भाजपा ही माध्यम रहे हैं, लेकिन इस बार सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग संस्था (सपाक्स समाज) का नया मंच सज गया है। खास बात ये है कि इन दिनों प्रदेश में महिला आईएएस अधिकारियों का राजनीति में जाना चर्चा का विषय बना हुआ है।शशि कर्णावत के बाद पूर्व आईएएस वीणा धाणेकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे वर्तमान में भूमि सुधार आयोग की सदस्य के पद पर पदस्थ थी। वीणा धाणेकर एससी-एसटी का विरोध कर रहे सपाक्स के समर्थन में उतर आई है और पद छोड़ इसमे शामिल हो गई है।हालांकि वीणा पहले से ही सपाक्स से प्रभावित थी और कई दिनों से उनके अधिकारियों के सपंर्क में चल रही थी। इसके पीछे का कारण वीणा का सपाक्स के विचारों से प्रभावित होना बताया जा रहा है।
एक सवाल पाठक के लिए
जब एक आईएएस पार्टी बनाकर देल्ही का Cm बन सकता हैं तो क्या 3 आईएएस सपाक्स पार्टी बनाकर Mp में अपना कमाल दिखा पाएंगे ???
अपना जवाव हमे कमेंट्स में जरुर दें
जरूर पूरा समाज उनके साथ है
ReplyDelete