भोपाल मे कितने युवाओं को HIV दे गयी ये युवती

भोपाल
राजधानी भोपाल के पुराने इलाके के निशातपुरा क्षेत्र के विश्वकर्मा नगर में पकड़ी गई युगांडा की दो लड़कियों ने मंगलवार को कोर्ट में अपनी तरफ से सफाई पेश की है। उन्होंने कहा है कि वे एचआईवी पीडित है और उसकी का इलाज कराने भारत आई थी। उन्होंने कहा कि यहां इलाज सस्ता होता है, जबकी युगांडा में स्वास्थ्य सेवाएं महंगी है, वे इस काम में शामिल नही है।वही केस की ट्रायल को युगांडा की भाषा को जानने समझने वाला अनुवादक नहीं मिलने के कारण टालना पड़ा है।कोर्ट में युवतियों की पैरवी वकील मनीष श्रीवास्तव ने की ।
ऐसे ेमें सवाल खड़ा होता है कि देह व्यापार के चक्कर में ये युवतियों कितनों को एड्स जैसी संक्रमण बीमारी दे गई। बताया जा रहा है कि यह देह व्यापार दो महिने पहले से चल रहा था।हर रोज अलग-अलग युवक और युवतियां यहां आते थे। कई बार नाबालिग लड़के-लड़कियां भी यहां आते थे।
आगे उन्होंने कोर्ट में खुद को बेगुनाह साबित करते हुए कहा कि वे डॉक्टर की तलाश में निशातपुरा इलाके में गई हुई थी और पुलिस ने उन्हें देह व्यापार में शामिल होने के कारण गिऱफ्तार कर लिया और जेल में बंद कर दिया।इसके साथ ही युवती ने उनके साथ पकड़े गए युवकों का भी एचआईवी टेस्ट कराने की बात कही है।इसके साथ ही युवतियों ने उन्हें जेल से रिहा करने की बात कही है, उन्होंने कहा कि वे पुलिस की निगरानी में उन्हें किसी महिला आश्रय गृह में रहने की इजाजत दे, क्योंकि बीमारी की वजह से जेल में उन्हें शारीरिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ रहा है।
वकील ने की ट्रायल रोकने की मांग
वही युवतियों की पैरवी कर रहे वकील मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि जब मेडिकल जांच रिपोर्ट से खुलासा हो गया है कि युवतियों को एचआईवी एड्स है तो उनके साथ पकड़े गए युवक की रिपोर्ट्स कोर्ट के सामने क्यों पेश नही की गई है। अब तक इसे क्यों छुपाया जा रहा है। साथ ही वकील ने कोर्ट ने और समय मांगा है। वकील का कहना है कि उन्हें न तो हिंदी समझ आती है और न ही अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। बिना अनुवादक के वे न तो भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को समझ सकेंगी और न ही उन पर लगाए गए आरोपों से अपना बचाव कर पाएंगी। इसलिए जल्द से जल्द युगांडा भाषा का अनुवादक उपलब्ध कराया जाए। हालांकि आरोपी विदेशी युवतियों के आवेदन में उनकी भाषा का नाम स्पष्ट नहीं किया गया है, इस कारण भी अनुवादक ढूंढने में दिक्कत हो रही है, क्योंकि युगांडा में भी भारत की तरह कई भाषाएं प्रचलित हैं और उन्हें सरकारी मान्यता प्राप्त है।जब तक आरोपी युवतियों को उनकी भाषा में चार्टशीट की कॉपी उपलब्ध नही करवाई जाती तब तक ट्रॉयल रोकी जाए।
बता दे कि इस केस की चार्टशीट अदालत में दस जुलाई को पेश की जा चुकी है। लेकिन भाषा की दिक्कत होने के कारण चार्टशीट की कॉपी आरोपी युवतियों को नही दी गई है।वही चार्टशीट की कॉपी युवतियों को दिखाए बिना अदालत ने युवतियों पर आरोप तय कर दिए है।ऐसे में कोर्ट के आदेश के बावजूद अभियोजन और विवेचना अधिकारी द्वारा अनुवादक उपलब्ध ना करना कोर्ट की अवमानना मानी जा रही है।
ये है मामला
दरअसल मामला तीन महिने पुराना है।आज से तीन महिने पहले 11 मई को  निशातपुरा पुलिस ने विश्वकर्मा नगर कॉलोनी में एक किराए के मकान में चल रहे सेक्स रैकेट का खुलासा किया था। इसी मकान से 5 युवक और 6 युवतियों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से दो युवतियां युंगाडा की राजधानी कंपाला की थीं। दोनों की उम्र 24 और 26 साल है। कोर्ट ने बीती 28 जुलाई को ही दोनों युवतियों समेत सभी 11 आरोपियों पर अनैतिक देह व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956 की धारा 3, 4, 5 के तहत सेक्स रैकेट का संचालन-प्रबंधन, देह व्यापार को जीवन निर्वाह का माध्यम बनाने, दूसरे लोगों को सेक्स रैकेट का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करने के मामले में आरोप तय किए हैं।
गौरतलब है कि प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 11 अगस्त को इस केस की ट्रायल शुरू की थी, लेकिन अनुवादक के अभाव में गवाही की प्रक्रिया को 25 अगस्त तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। युवतियों ने कोर्ट से दूसरी बार अनुवादक उपलब्ध कराने की मांग की है। इससे पहले 15 मई को युगांडा की भाषाओं के अनुवादक की मांग की थी, कोर्ट ने इसे मानते हुए अभियोजन अधिकारियों को अनुवादक मुहैया कराने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक अनुवादक नहीं मिल सका है।


news adopted by mpbreakingnews 
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